आरती

गुरुवार व्रत कथा आरती सहित – जानिए कैसे मनाया जाता है गुरुवार का व्रत

आजके इस लेख में आप जानने वाले है गुरुवार व्रत कथा आरती सहित – जानिए कैसे मनाया जाता है गुरुवार का व्रत और कैसे आपकी मनोकामना होगी पूरी जानिए शुरुवात से आखिर तक !

मंगलवार के व्रत कथा वास्तव में गुरुवार का व्रत है, जो बहुत ही महत्वपूर्ण व्रत है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और इस व्रत को नियमित रूप से करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।

यह व्रत सभी समय के लिए होता है। इसे श्रद्धालु अमावस्या के दिन या शुक्ल पक्ष के गुरुवार को कर सकते हैं। इस व्रत को नियमित रूप से करने से लोगों को शांति, समृद्धि और सफलता मिलती है।इस व्रत की कथा में श्री गणेश और श्री विष्णु जी की पूजा के साथ आरती भी अत्यंत महत्वपूर्ण होती है।

गुरुवार व्रत कथा:

एक समय की बात है, एक श्रद्धालु राजा था जो बहुत ही धर्मात्मा था। उसने सभी पूजाओं और व्रतों को नियमित रूप से किया था। उसने अपने राज्य में भगवान विष्णु का मंदिर बनवाया था जहां पर विशाल संख्या में श्रद्धालु आते थे।

एक दिन उसके राज्य में एक गरीब ब्राह्मण आया जो बहुत ही दुखी था। वह राजा के पास गया और

वह राजा के पास गया और उससे कुछ धन की मांग की। राजा ने उसे धन देने की जगह उसे शांति के लिए गुरुवार का व्रत करने का सुझाव दिया। ब्राह्मण ने उस व्रत को किया और उसके बाद से उसे सभी जरूरतें पूरी होने लगीं। उसने धन नहीं मांगा, लेकिन उसे सभी सुख और समृद्धि मिल गए।

अगले गुरुवार को वह फिर से मंदिर आया और राजा को बताया कि उसके जीवन में कैसे धन, समृद्धि और शांति आ गयी है। राजा ने इसे सुना और उसने भी गुरुवार का व्रत किया। उसके बाद से भगवान विष्णु ने उसे अपनी कृपा बरसाई और उसके जीवन में सभी सुख और समृद्धि आ गईं।

इस तरह से गुरुवार का व्रत सभी के जीवन में सफलता, समृद्धि और शांति लाता है।

गुरुवार व्रत आरती:

जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे। भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे।

जय जगदीश हरे।

जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का। स्वामी विनसे मन का, ध्यावे फल

ज्ञान-विज्ञान-विधाता, गुणी अति चातुर रता। करता सब का स्वामी, तुम ही हो भरता।

जय जगदीश हरे।

तुमको माता पिता कहते, कितने न हीँदू, तुम ही हो बाँधवा। तुम ही हो भरता, तुम ही हो सवारी।

जय जगदीश हरे।

तुम हीं हो माता पिता, तुम हीं हो बंधु सखा। तुम हीं हो संगति, केवल तुम हीं हो अखिल व्यापक।

जय जगदीश हरे।

तुम हीं हो पालनहार, तुम हीं हो सेवक संताप। किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति निवारे।

जय जगदीश हरे।

तुम हीं हो दाता दयावंत, हृदय में अनुपम आनंद। दृष्टि से तुम हीं पावे, मन के अगाध तारे।

जय जगदीश हरे।

जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे। भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे।

जय जगदीश हरे।

बृहस्पतिवार की व्रत कथा कैसे करें?

बृहस्पतिवार को जुपिटर ग्रह का दिन माना जाता है और इस दिन जुपिटर भगवान की पूजा विशेष रूप से की जाती है। बृहस्पतिवार को जुपिटर भगवान के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन को बृहस्पतिवार का व्रत करने से भगवान जुपिटर विशेष रूप से प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

बृहस्पतिवार का व्रत निम्न विधि से किया जाता है।

  • सुबह जल्दी उठें और नहाने के बाद स्नान करें।
  • जल की बोतल ले कर शिवलिंग के सामने जाएं और भगवान जुपिटर को नमस्कार करें।
  • बृहस्पति को बैठने के लिए एक चौकी लगाएं और उस पर रंगों से बनी स्वस्तिक बनाएं।
  • भगवान जुपिटर की पूजा के लिए पूजा सामग्री लें और पूजा करें।
  • भगवान जुपिटर के व्रत में खाने-पीने की कोई विशेष विधि नहीं है। आप सात्विक भोजन कर सकते हैं और भोजन के समय भगवान जुपिटर का नाम लें।
  • सायंकाल को फिर स्नान करें और फिर भगवान जुपिटर की आरती कर

बृहस्पतिवार की पूजा कैसे की जाती है?

बृहस्पतिवार को जुपिटर भगवान की पूजा करने से भगवान जुपिटर विशेष रूप से प्रसन्न होते हैं। बृहस्पतिवार की पूजा निम्न विधि से की जाती है।

  • पूजा के लिए जुपिटर भगवान की मूर्ति लें या उनकी तस्वीर लगाएं।
  • धूप, दीप और फूल लेकर भगवान जुपिटर की मूर्ति के समक्ष जाएं।
  • पूजा शुरू करने से पहले ध्यान लगाकर अपनी सभी मनोकामनाओं की मांग करें।
  • अगले चार दिशाओं में से एक दिशा का चयन करें और फिर उस दिशा की ओर मुँह करके बैठ जाएं।
  • पूजा के दौरान मंत्रों का जप करें। आप जुपिटर भगवान के जप कर सकते हैं जैसे “ॐ गुरुदेवाय नमः” और “ॐ बृहस्पतये नमः”।
  • पूजा के अंत में भगवान जुपिटर को अर्पण करें और अपनी सभी मनोकामनाओं की मांग करें।
  • आरती के बाद भगवान के चरणों में प्रणाम करें और उनसे क्षमा मांगें।
  • बृहस्पतिवार की पूजा में आप ध्यान रखें कि आप नियमित हों और उपवास रखें। यह प

बृहस्पति देव को कैसे प्रसन्न किया जाए?

बृहस्पति देव को प्रसन्न करने के लिए कुछ सुझाव निम्नलिखित हैं:

बृहस्पति देव की पूजा करें: बृहस्पति देव को पूजने से उन्हें प्रसन्नता मिलती है। बृहस्पति देव की पूजा के लिए आप प्रतिदिन उनकी मूर्ति को धूप, दीप और फूलों से अर्पित कर सकते हैं।

व्रत रखें: बृहस्पति देव को प्रसन्न करने के लिए बृहस्पतिवार को उपवास रखना चाहिए। इसके अलावा, आप शनि और सूर्य के व्रत भी रख सकते हैं।

मंत्र जप करें: आप बृहस्पति देव के मंत्र जप करके उन्हें प्रसन्न कर सकते हैं। उनके मंत्रों में से कुछ मंत्र हैं जैसे, “ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः” और “ॐ बृहस्पतये नमः” जो आप नियमित रूप से जप कर सकते हैं।

दान करें: बृहस्पति देव को प्रसन्न करने के लिए आप गुरुदाक्षिणा या दान भी कर सकते हैं। आप अन्नदान, वस्त्रदान, धनदान या किसी भी अन्य प्रकार के दान कर सकते हैं।

अच्छी कर्म करें: आपके अच्छे कर्म भी बृहस्पति देव अच्छे कर्म भी बृहस्पति देव को प्रसन्न करते हैं। इसलिए, आप दूसरों की मदद करने और सेवा करने के लिए प्रेरित हों। इसके अलावा, आप शुभ कामों को करने से बचने चाहिए। आप नकारात्मक विचारों से दूर रहें और सकारात्मक सोच रखें। अगर आप इन सुझावों का पालन करेंगे, तो बृहस्पति देव आपके प्रति कृपा दिखाएंगे।

व्रत कथा कैसे करें?

बृहस्पतिवार के व्रत के दौरान, आपको उपवास रखना चाहिए और शांति और ध्यान के साथ भगवान बृहस्पति की पूजा करनी चाहिए।

व्रत की शुरुआत में, आपको उत्सव के दिन से पूर्व एक दिन पहले अन्न, दूध और फल का दान करना चाहिए। यह व्रत का पहला दिन होता है।

व्रत के दूसरे दिन, सभी वस्तुओं को उठाकर उन्हें भगवान बृहस्पति की पूजा के लिए तैयार करें। इसके बाद, आपको बृहस्पति देव की पूजा करनी चाहिए। इसके लिए, पूजा स्थल को साफ़ करें और धूप, दीप और फल की ओफ़रिंग करें। फलों में केला और मिश्री की माला भी रखी जा सकती है।

आपको विधिवत भगवान बृहस्पति की आरती करनी चाहिए और अंत में प्रसाद बाँटना चाहिए। आप इस व्रत को एक सप्ताह तक कर सकते हैं। इस व्रत के दौरान आपको शांति, समृद्धि और समृद्धि के लिए प्रार्थना करनी चाहिए।

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