विराट- गंभीर झगड़े का दोषी कौन, असली कसूरवार कौन

किसी भी खिलाड़ी को आदर्श मानने में उसका खेल ही नहीं उसका आचरण भी शामिल होता है। सचिन या धोनी इसलिए लेजेंड नहीं माने जाते कि उनके रेकॉर्ड बड़े हैं। वो इसलिए लेजेंड हैं क्योंकि उन्होंने हमेशा मैदान में मर्यादित व्यवहार किया। ये मर्यादित व्यवहार ही आपको अच्छे खिलाड़ी से महान इंसान बनाता है। ये व्यवहार ही बतौर इंसान आपकी उपयोगिता बढ़ाता है। वो आपको सिर्फ खिलाड़ी तक सीमित न रखकर आर्दश बनाता है।

मगर जब कोई बड़ा खिलाड़ी इस ज़िम्मेदारी को भूलकर अपने गुस्से या अहम के हाथों मजबूर हो झगड़ने या गाली गलौज करने लगे तो वो उस महानता के पायदान से बहुत नीचे गिर जाता है।

यह भी पढ़ें- RR VS RCB: मैदान पर भिड़ गए Virat Kohli और Gautam Gambhir, देखें वीडियो

तकलीफ की बात ये है कि एक दशक से लंबे करियर के बाद Virat Kohli ये बात नहीं समझ पाए कि हार-जीत और आंकड़ों से कहीं बड़ी बात ये होती है कि उस हार जीत को पाने के क्रम में आपने कैसा बर्ताव किया। बतौर खिलाड़ी आपका मूल्यांकन आपके आकंड़ों के साथ-साथ आपके बर्ताव से किया जाता है।

 

यही बात गंभीर को लेकर भी है। गंभीर खुद कई बार स्वीकार चुके हैं कि उन्हें मैदान में आक्रमक रहना पसंद है। मगर वो भी ये भूल गए कि कल वो मैदान में खिलाड़ी नहीं कोच की भूमिका में थे। क्रिकेट में इस स्तर पर कोच का काम खिलाड़ियों को तकनीक सीखना नहीं बल्कि अपनी भावनाओं को कैरी करना सीखना होता है। एक कोच या मेंटोर खिलाड़ियों को ये बताता है कि असफलता और गुस्से के वक्त कैसे खुद पर काबू रखें। मगर कोच जब खुद बार-बार बेकाबू हो जाए, तो ये बताता है कि वो उस पद के लिए Emotionally Misfit है।

इस मायने में कल का झगड़ा सिर्फ एक झगड़ा नहीं बल्कि भारतीय क्रिकेट के दो महान खिलाड़ियों का गरिमा के ऊंचे पायदान से नीचे गिरने की दुर्घटना माना जाएगा। ऐसी दुर्घटना जिसमें गिरे भले ही खिलाड़ी हों मगर घायल क्रिकेट के लाखों चाहने वाले हुए हैं।